राजस्थान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामेश्वरलाल डूडी का निधन 4 अक्टूबर 2025 को हो गया। उनकी मृत्यु की खबर से पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई। डूडी लंबे समय से बीमार चल रहे थे और कुछ महीने पहले उन्हें ब्रेन हैमरेज की शिकायत के बाद जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
उनके निधन पर प्रदेशभर के नेताओं और समर्थकों ने गहरा दुख व्यक्त किया। कांग्रेस नेता अशोक गहलोत, सचिन पायलट और कई वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें सच्चा जननेता बताया, जिन्होंने हमेशा किसानों और गरीबों की आवाज को मजबूती से उठाया।
👤 रामेश्वर लाल डूडी का जीवन परिचय
- पूरा नाम: रामेश्वर लाल डूडी
- जन्म: 1 जुलाई 1963, बिरामसर गांव, नोकहा (बीकानेर), राजस्थान
- शिक्षा: बी.कॉम – बी.जे.एस. रामपुरिया कॉलेज, बीकानेर
- पारिवारिक जीवन: पत्नी सुशीला डूडी (पूर्व विधायक, नोखा)
डूडी का जीवन संघर्ष और सेवा का प्रतीक रहा। उन्होंने बहुत सामान्य परिवार से शुरुआत की और राजनीति की ऊँचाइयों तक पहुँचे।
🏛️ रामेश्वरलाल डूडी का राजनीतिक करियर
रामेश्वर डूडी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1995 में पंचायत समिति के प्रधान के रूप में की।
इसके बाद उन्होंने 1999 में बीकानेर से लोकसभा चुनाव जीता और सांसद बने।
राज्य स्तर पर उन्होंने नोखा विधानसभा सीट से जीत हासिल की और 2013 से 2018 तक राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता (Leader of Opposition) रहे।
उनका राजनीतिक सफर किसानों, मजदूरों और आम जनता की समस्याओं को उठाने के लिए समर्पित रहा।
💔 रामेश्वरलाल डूडी की स्वास्थ्य समस्या और निधन का कारण
2023 में रामेश्वर डूडी को ब्रेन हैमरेज हुआ, जिसके बाद उनकी तबीयत लगातार नाजुक रही।
डॉक्टरों ने उनके मस्तिष्क से रक्त का थक्का हटाने के लिए ऑपरेशन किया, लेकिन वे पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो पाए।
लंबी बीमारी के बाद 4 अक्टूबर 2025 को बीकानेर में उनके निवास पर उनका निधन हो गया।
उनकी उम्र उस समय 62 वर्ष थी।
🙏 अंतिम संस्कार और शोक संदेश
रामेश्वर डूडी के निधन की खबर मिलते ही बीकानेर, नोखा और आसपास के इलाकों में उनके समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी।
उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा – “रामेश्वर डूडी का जाना कांग्रेस और प्रदेश राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति है।”
सचिन पायलट ने भी ट्वीट कर कहा – “वे सच्चे जनसेवक थे जिन्होंने जनता के लिए जीवन समर्पित किया।”
🌾 डूडी का योगदान और विरासत
- किसानों की समस्याओं के लिए लगातार आवाज उठाई।
- नोखा और बीकानेर क्षेत्र में विकास कार्यों को आगे बढ़ाया।
- विधानसभा में विपक्ष के नेता रहते हुए कई बार सरकार को किसानों और युवाओं के मुद्दों पर जवाबदेह ठहराया।
- जनता से जुड़ाव और सादगी उनकी पहचान थी।
उनकी राजनीतिक सोच और निष्ठा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहे