करवा चौथ 2025 कब है? महत्व, पूजा विधि और खास जानकारी

करवा चौथ भारत का एक बेहद लोकप्रिय व्रत है, जिसे खासकर विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए करती हैं। यह पर्व उत्तर भारत में विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है।

करवा चौथ 2025 की तिथि और समय

साल 2025 में करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा।

  • पूजा का मुहूर्त – शाम 5:57 बजे से 7:11 बजे तक
  • चाँद निकलने का अनुमानित समय – रात 8:13 बजे
  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ – 9 अक्टूबर रात 6:19 बजे से
  • चतुर्थी तिथि समाप्त – 10 अक्टूबर रात 8:13 बजे तक

(समय स्थानानुसार बदल सकता है, इसलिए अपने स्थानीय पंचांग को अवश्य देखें।)

करवा चौथ कब है ? पूजा विधि, महत्व और पूरी जानकारी
करवा चौथ कब है ? पूजा विधि, महत्व और पूरी जानकारी (Image Credit – Chat Gpt)

करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ सिर्फ व्रत ही नहीं बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम, आस्था और विश्वास का प्रतीक है। इस दिन महिलाएँ निर्जला व्रत रखती हैं यानी न तो पानी पीती हैं और न ही अन्न ग्रहण करती हैं, जब तक कि रात को चाँद निकलने के बाद व्रत खोला न जाए।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ का व्रत सबसे पहले देवी पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। इसके अलावा वीरवती की कथा भी प्रसिद्ध है जिसमें उसके सात भाईयों ने झूठा चाँद दिखाकर उसका व्रत तुड़वा दिया और उसके पति की मृत्यु हो गई। बाद में उसकी सच्ची श्रद्धा से उसका पति पुनर्जीवित हुआ। तभी से यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए सबसे पवित्र व्रत माना जाता है।

करवा चौथ की तैयारी

करवा चौथ से एक दिन पहले ही महिलाएँ सजावट और पूजा की तैयारी कर लेती हैं।

  • सारी / लहंगा / सूट जैसे पारंपरिक परिधान तैयार करती हैं।
  • मेहँदी और सिंगार का विशेष महत्व होता है।
  • पूजा की थाली, करवा, दीपक, मिठाई, फूल, रोली, चावल आदि सजाए जाते हैं।
  • सास द्वारा बहू को सargi दी जाती है, जिसमें फल, मिठाई, सूखे मेवे और पारंपरिक भोजन शामिल होता है।

व्रत और पूजा विधि

  1. सुबह सूर्योदय से पहले महिलाएँ सargi खाती हैं और दिनभर व्रत रखती हैं।
  2. पूरे दिन जल-अन्न का त्याग कर सोलह श्रृंगार करती हैं।
  3. शाम को सामूहिक या घर पर ही करवा चौथ की पूजा होती है।
  4. व्रत कथा सुनी जाती है और करवा (मिट्टी का कलश) में जल भरकर पूजन किया जाता है।
  5. रात को चाँद निकलने पर महिलाएँ छलनी से पहले चाँद और फिर अपने पति का दर्शन करती हैं।
  6. पति के हाथ से पानी और फल लेकर व्रत खोला जाता है।

आधुनिक समय में करवा चौथ

जहाँ पहले यह व्रत केवल महिलाएँ रखती थीं, वहीं अब कई पुरुष भी अपनी पत्नियों के साथ यह व्रत रखकर समानता और प्रेम का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। सोशल मीडिया और फिल्मों की वजह से भी इस व्रत की लोकप्रियता बढ़ी है और अब यह सिर्फ धार्मिक पर्व ही नहीं बल्कि प्रेम और रिश्ते का उत्सव भी बन गया है।

निष्कर्ष

करवा चौथ 2025 का इंतजार हर सुहागन स्त्री को है। यह पर्व न केवल पति की लंबी आयु के लिए व्रत का प्रतीक है, बल्कि वैवाहिक जीवन में विश्वास और प्रेम को गहराई से जोड़ने वाला अवसर भी है। इस बार 10 अक्टूबर 2025 को जब महिलाएँ सज-धज कर चाँद का इंतजार करेंगी, तब हर घर-आँगन में आस्था और प्यार की रोशनी फैलेगी।

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